इंडिया न्यूज, Raju Srivastava Struggle Success Story: पॉपुलर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का आज 58 साल की उम्र में निधन हो गया।10 अगस्त को राजू को जिम करते हुए हार्ट अटैक आया और उसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। राजू की हालत इलाज के दौरान स्थिर बनी हुई थी लेकिन फिर बाद में हालत बिगड़ गई। एक महीने से ज्यादा समय वेंटिलेटर पर बिताने के बाद आखिरकार आज कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने अपना दम तोड़ दिया।
राजू श्रीवास्तव को देश भर के पसंदीदा कॉमेडियन में से एक माना जाता था। राजू श्रीवास्तव ने रियलिटी शो में बेहतरीन परफॉर्मेंस देकर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई तो कहीं फिल्मों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन किया। राजू का शुरुआती करियर उतार-चढ़ाव से भरा था। आइए जानते है कानपुर की मिडिल क्लास फैमिली में जन्म लेने वाले राजू श्रीवास्तव का कामयाबी भरा सफर –
बचपन से ही कॉमेडी में माहिर थे मिडिल क्लास राजू
कानपुर की एक मिडिल क्लास फैमिली में राजू ने जन्म लिया। बचपन में राजू का नाम सत्य प्रकाश था जो आगे चलकर राजू श्रीवास्तव बन गए। राजू के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव एक सरकारी कर्मचारी थे और शौकिया तौर पर कविताएं लिखा करते थे। छुट्टियों में पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव कवि सम्मेलन का हिस्सा बना करते थे और उन्हें बलाई काका नाम से जाना जाता था।
राजू को अपने पिता से लोगों का मनोरंजन करने का गुण विरासत के रूप में मिला। बचपन से ही राजू श्रीवास्तव घर में आए मेहमानों के सामने मिमिक्री किया करते थे और स्कूल में टीचर की नकल उतारकर सबको खूब हसाया करते थे। टीचर्स उन्हें बद्तमीज कहकर सज़ा दे दिया करते थे लेकिन एक टीचर ऐसे भी थे जिन्होंने राजू को बढ़ावा दिया और कॉमेडी में करियर बनाने की सलाह दी।
कुछ लोगों ने राजू को लोकल क्रिकेट मैच में कमेंट्री करने की सलाह दी। और इसके बाद राजू अपने हुनर को कॉन्फिडेंट के साथ लोगों के सामने पेश करने लगे। राजू बचपन से ही कॉमेडियन बनने की इच्छा रखते थे वास्तव में राजू की प्रेरणा अमिताभ बच्चन थे। अमिताभ की फिल्म दीवार से प्रेरित होकर राजू ने एक्टर बनने का फैसला किया।
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1982 में राजू लखनऊ छोड़कर मुंबई चले आए
राजू बचपन से ही एक्टिंग और कॉमेडी में अपनी किस्मत आजमाना चाहते थे जिसके लिए वो 1982 में लखनऊ छोड़कर मुंबई चले आए। उनके पास यहां रहने के लिए न घर था और न ही खाने के लिए पैसे। घर से भेजे गए पैसों में जब राजू का गुजारा नहीं होता था तो राजू ऑटो ड्राइवर बन गए। राजू ऑटो चलाते हुए अपनी सवारी को भी हंसाते थे। मुंबई में राजू को करीब 4-5 सालों तक संघर्ष करना पड़ा था।
राजू के स्टाइल से इंप्रेस होकर सवारी ने दिया पहला ब्रेक
एक दिन राजू ऑटो में एक सवारी को लेकर जा रहे थे तो राजू के स्टाइल से इंप्रेस होकर सवारी ने उन्हें स्टेज परफॉर्मेंस करने को कहा। राजू ने बात मानकर परफॉर्मेंस दी जिसके लिए उन्हें सिर्फ 50 रुपए मिले थे। इसके बाद राजू लगातार स्टेज शो करने लगे। स्टेज शो के दौरान राजू श्रीवास्तव अमिताभ बच्चन की नकल भी किया करते थे। यहीं से उन्हें अमिताभ बच्चन के लुक की तुलना की पहचान हुई।
कैसे मिली राजू को गजोधर भइया की पहचान
राजू श्रीवास्तव उन्नाव के बीघापुर गांव के रहने वाले थे। राजू बचपन में मामा के घर जाया करते थे। और बाल कटवाने एक नाई के पास जाया करते थे जिसका नाम गजोधर था। उस नाई ने सीने में गिटार का टैटू बनवाया हुआ था। वह कहता था कि जब सीने में खुजली करता हूं तो गिटार बजता है। नाई के मजाकिया होने के कारण सैलून तक राजू की जुबान पर उसका नाम रहा। कॉमेडियन बनने के बाद राजू ने उसके नाम का इस्तेमाल किया।
स्टेज शो करते हुए राजू ने इंडस्ट्री के लोगों से जान-पहचान बधाई तो इन्हें फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे। राजू पहली बार 1988 की फिल्म तेजाब में नजर आए। आगे चलकर उन्होंने करीब 19 फिल्मों में काम किया।
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